Dil ki kuchh khas Bat || Heart Touching 2022 best 💓
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“dil ki baat ”
“dil ki feeling”
“ek dil ki baat for friend”
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सबको दिल कि बात करनी है।लेकिन जब कोई शख़्स सामने से नहीं समझे दिल की बात !तब दुविधा होती है innner संघर्ष चलता है,और फिर दिल केवल और केवल भौतिक विज्ञान तक सिमित हो जाती है।
जिसके मायने है-ह्र्दय(A physical organ which pumps blood through the vessels of the circularly system) और दिल के बातो से विश्वास उठाता है,यू कहे तो दिल चूर हो जाता है!
तो क्या दिल वाली बात सच मे एक भ्रम था ?
तो क्या दिल वाली बात सच मे एक भ्रम था ?
क्या अब सच मे दिल पहले जैसे नहीं रोता,नहीं हंसता, क्या सभी बातें दिल से नहीं बल्कि ज़बान से होती हैं,
क्या लगता है आपको? 💓💓
क्या लगता है आपको? 💓💓
अगर आप भी ऐसे असमंजसत मे हैं ,तो आज clear करते हैं इसको ,
दिल जिसको आप एक भौतिक orgon समझते हैं ,असल मे आप सही समझते हैं, लेकिन ये तभी तक सही है जब आप cardiologist से बात कर रहे हो!जब आपका दोस्त क्लास वाली तान्या के लिए अपनी चाहत आपसे share करता है,या कोई शायर अपने मेहबूब पे लिखता है ,दिल शब्द का use करता है ,तो यहां मायेने थोड़े बदल जाते है,तब ‘दिल ‘ Metaphor (metaphor is a emage symbol or sign that suggest something eals) हो जाता है,💓💓
दिल जिसको आप एक भौतिक orgon समझते हैं ,असल मे आप सही समझते हैं, लेकिन ये तभी तक सही है जब आप cardiologist से बात कर रहे हो!जब आपका दोस्त क्लास वाली तान्या के लिए अपनी चाहत आपसे share करता है,या कोई शायर अपने मेहबूब पे लिखता है ,दिल शब्द का use करता है ,तो यहां मायेने थोड़े बदल जाते है,तब ‘दिल ‘ Metaphor (metaphor is a emage symbol or sign that suggest something eals) हो जाता है,💓💓
जो physical नहीं बल्कि spritual हो जाता है।दिल एक ऐसी चीज है जो दूसरों के लिए खुलती है।जहां आप दूसरे के साथ दुख के प्रति करुणा के लिए हृदय के स्तर पर जागृत होते हैं।दिल का ज़िक्र मझे लगता है,अंतिम रूप से ‘कुण्डलिनी योगा ‘(Kundalini yoga जो हिन्दू उपनिषदों में से एक है)में मिलता है।
जिसमें सात चक्र की बात की गई है! जिसमें नीचे के तीन चक्र animal instinct है,माने वो सारे काम जो एक जानवर करता है ,जैसे की खाना ,सोना,सेक्स करना आदि,
इनसे ऊपर चौथा चक्र आता है ‘हार्ट चक्रा ‘ जैसको हार्ट( भौतिक orgon )के level पे ही दर्शाया गया है,जो human के psychological transformation का बात करता है,जिसमें मनुष्य एक प्योर ह्यूमन बीइंग मे तब्दील हो जाता है,यानि शुरू मे हर मनुष्य aniimal instinct ही होता है,बाद मे चल के उसमें phychological level पे transformation आते हैं,शायद इसैलिये कहते हैं ,All human being are animal instinct into the very depth of being-(carl jung)
तो आईये कुछ दिल की बात ज़ुबां से के करते हैं।आप जुबां की बात दिल से समझिएगा।
तो आईये कुछ दिल की बात ज़ुबां से के करते हैं।आप जुबां की बात दिल से समझिएगा।
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मेरे ‘दिल ए ग़म’ को मेरि ,
आँखें भी बयां नहीं करतीं।
तेरि इत्ती सी नारज़गी पे
चूड़ियां भी,
बे-रुखी़ से खनकती हैं।
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